Tuesday 8 May 2012

Satyameva Jayate

सत्यमेवजयते कार्यक्रम  आखिर  शुरू ही हो गया ! पिछले कई हफ़्तों से इसकी झलक  देख  रहा था ! आज  मैंने  नेट पर अलग अलग  प्रतिक्रियाएँ पढ़ी ! एक बात काबिलेतारीफ है की खामियां ढूँढने मैं हमारा कोई सानी नहीं है और काम करने में सबसे पीछे हमसे ज्यादा कोई नहीं हो सकता !  किसी एक दर्शक ने कहा की सब नाटक था! टीवी शो मैं बैठे कई दर्शक इतने भावुक हो गए की वो रोने लगे जो की दिखावटी लग रहा था ! मेरा कहना है की मैं तो घर बैठे ही इतना भावुक हो उठा था और मेरी पत्नी तो वोह दृश्य देखकर चीख उठी थीं, जिसमें मध्यप्रदेश कीउस महिला की तस्वीरों  को दिखाया गया  था जिसमें उसके पति ने उसका चेहरा अपने दातों से चबा डाला था ! कारण सिर्फ यह था की उसकी पुत्र पाने की इच्छा पूरी नहीं हो पा  रही थी! अग़र ऐसे दर्दनाक तस्वीर देख कर, स्टूडियो में बैठे दर्शको के आंसू बह जाते हैं  तो उनको नाटक घोषित कर देने में मुझे कहीं भी समझदारी नहीं नज़र आती ! मैं और मेरी पत्नी अगर टीवी पर उस चित्र को देख सिहर उठे थे तो स्टूडियो में बैठे लोगों  का अनुभव तो और भी जीवंत होगा ! और मेरा विश्वास करें मुझे इस भावुकता के लिए मुझे आमिर खान से कोई चेक नहीं मिला ! सिर्फ अपनी मानवता के भाव को मरने न दें, आप वो सब अनुभव कर सकेंगे जो उस महिला ने सहा होगा !


मेरे एक अन्य मित्र ने कहा की इस शो में तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है, मसलन एक दृश्य जिसमें हरयाणा के एक गाँव के कई सारे अविवाहित नौजवान टोली बना कर बैठे हुए हैं, क्योंकि कन्या भ्रूण हत्या की वजह  उनको विवाह योग्य लडकियां नहीं मिल पा रहीं हैं ! इस विवाद में पड़ने की बजाये की उन अविवाहित लड़कों की भीड़ जुटाई हुई थी या वास्तविक थी, मैं यह कहूँगा की क्या आपको नहीं लगता की अगर हमने जल्द ही कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम नहीं लगाई तो यह तत्कथित नाटकीय स्थिति भी आते हुए ज्यादा  देर नहीं लगेगी! अतः मेरा यह प्रश्न है की इस सन्दर्भ में क्या अधिक महत्वपूर्ण है, इस विकराल समस्या पर लोगों का ध्यान खीचने की चेष्टा करना या फिर इसके उलट ऐसी चेष्टा करने वाले की आलोचना करना ? यह प्रश्न और भी महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाता है क्यों की ऐसी आलोचना करने वाले स्वयं बुद्धिजीवी वर्ग से हैं जिनसे इस जनजागरण में सहयोग की अपेक्षा करी जाती है नाकि खामियां और कमियाँ गिनने की !


एक बहस का मुद्दा यह भी बन रहा है की आमिर इस शो की फीस ३ करोड़ रूपए ले रहें हैं ! मेरी समझ से यह बाहर है की इसमें किस बात की आपत्ति उठाई जा सकती है ? इस प्रकार का शोर मचाने वाले तब क्यों नहीं शोर मचाते जब अमिताभ बच्चन जी को "कौन बनेगा करोडपति " के लिए करोड़ों मिलते हैं या फिर बिग बॉस के लिए सलमान को ऊँची रकम दी जाती है ! और क्या है यह बिग बॉस, १२-१५ सिरफिरों को एक घर में बंद कर के छोड़ दिया जाता है! और हम बुद्धिजीवी उनकी लडाइयां देखते व गालियाँ सुनते हैं !किसी साधू से लेकर पोर्न स्टार तक सब लोग उसमें आते हैं! जिसके कारण उनकी मार्केट में मांग बढती है, और चाहे अनचाहे हमारे देश के बच्चों पर उनका बुरा असर पड़ता है ! बड़ी ही दुर्भाग्य पूर्ण बात हैं की मानसिक कलह को बेंच कर जब कोई TRP बनता है तो उसके विरुद्ध कोई कुछ नहीं बोलता, उनकी कमाई पर उंगली नहीं उठाता !जो लोग आमिर की कमी पर ऊँगली उठा रहे हैं, क्या तब भी वो ऐसा ही विरोध करते हैं जब शीला,चिकनी चमेली और मुन्नी १० मिनट के भड़काऊ नाच के लिए करोड़ों ले लेती हैं, जिसे आजकल के बच्चे अपनी प्रेरणा समझना शुरू कर देतें हैं और अपना स्वाभाविक बचपन खो देते हैं  (डांस इंडिया डांस जैसे कार्यक्रमों मैं आप देख सकते हैं  की आज कल कार्यक्रम  के जज भी माता और पिताओं से से आग्रह कर रहें हैं की बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से बड़ा करें!) 


 इसके उलट जब कोई समाज सेवा से जुड़ कर एक परिवर्तन लाना चाहता है तो लोग उसके साथ खड़े के बजाये उसके पीछे पड़ जाते हैं ! जरा सोंच कर देखिये ! कौन बनेगा करोड़पति में अमिताभ जी ने या बिग बॉस में सलमान  खान ने ज्यादा मेहनत करी होगी या फिर आमिर खान ने सत्यमेव जयेते में करी होगी ? इस कार्यक्रम की ख़बरों को मैंने पढ़ा और सुना था की आमिर खान ने कितने जगहों की यात्राएँ करी, अपना बहुमूल्य समय दिया,यह बात और हैं की शायद इस समय का उपयोग अगर वो फिल्म निर्माण में लगाते तो शायद इस कार्यक्रम की फीस से भी ज्यादा पैसे कम लेते, वह भी अपना सिर खपाए बिना! समाचार पत्र में तो यहाँ तक छपा था की उनकी पत्नी किरण भी आमिर की व्यस्तता से आजिज आ गयीं थी, क्योंकि आमिर ने महीनो से रातों दिन अपने आप को इस काम के व्यस्त कर रखा था! 

अंत में आमिर खान के प्रयासों में कमी निकलने वालों से में यही कहना चाहूँगा की अपनी मानसिकता को बड़ा करें और यह देखें की उन्होंने स्वयं कन्या भ्रूण हत्या के विषय में आज तक क्या किया ! कन्या भ्रूण हत्या रोकने के प्रयास  स्वरुप  म.प्र सरकार द्वारा कई करोड़  रुपये बहाने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला था पर आमिर के इस कार्यक्रम के ही कारण आज मध्य प्रदेश प्रशासन द्वारा ६५ अस्पतालों के लाइसेंस निरस्त किये गए हैं ! मुख्यमंत्री शिवराज स्वयं आमिर खान से मिल कर उनको कन्या भ्रूण हत्या उन्मूलन अभियान से जुड़ने का आमंत्रण देने का विचार कर रहे हैं ! कुछ ऐसा ही प्रयास राजस्थान सरकार की ओर से भी होने वाला है !  कन्या भ्रूण हत्या कोई नया विषय नहीं है ! ये समस्या हमारे सभ्य समाज के मुह पर सदियों से कालिख पोत रही है एवं भारतवर्ष के उस गौरव को कलंकित करती आई है, जिसमें कहा जाता है की इस देश में नारी का स्थान सदैव  से पुरुष से ऊपर रहा है! इस कार्यक्रम को देख कर यदि सारी बहिन और बेटियाँ प्रण करलें की वो  इस पाप को आगे नहीं होने देंगी तो इस कार्यक्रम का उदद्येश पूरा हो जायेगा, फिर चाहे सरकार या संस्थाएं कुछ करें  या न करें !आज जब एक विशाल पहल हुई है तो अपनी व्यक्तिगत संकीर्ण मानसिकता को त्याग कर इस परम कर्तव्य का भागीदार बनने की  आवश्यकता है, नाकि किसी व्यक्ति विशेष ऊँगली उठाने की !

नवीन बाजपयी